कटघोरा वनमण्डल की भ्रष्ट कार्यशैली फिर उजागर, DFO-SDO ने विधानसभा को किया गुमराह…DFO के साथ-साथ SDO संजय त्रिपाठी की भी मिलीभगत
कोरबा/कटघोरा ;- कटघोरा वनमंडल के अधिकारियों द्वारा राज्य के सर्वोच्च सदन विधानसभा को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। पूर्व डीएफओ शमा फारूखी ने तो पूरा का पूरा स्टाफ डेम को ही जानकारी से गायब करवा दिया और वर्तमान डीएफओ ने हजारों अवैध पेड़ कटाई के मामले से बचने के लिए अपने एसडीओ पदस्थापना कार्यकाल को ही नकार दिया है। इस पूरे गड़बड़झाले में डीएफओ प्रेमलता यादव के साथ-साथ एसडीओ संजय त्रिपाठी की भी मिलीभगत सामने आई है।
मामला कटघोरा वनमंडल के ऐतमानगर परिक्षेत्र अंतर्गत पोड़ी वृत्त में हजारों वृक्षों की अवैध कटाई का है। इस मामले में की गई शिकायत पर उच्च अधिकारियों के द्वारा जांच कराई गई। उप वनमंडलाधिकारी मुंगेली ने ऐतमानगर रेंंज के पोड़ी बीट में हुई कटाई की जांच में 22580 वृक्षों की कटाई होना अवैध ठूंठ के आधार पर पाया जिसमें वन विभाग को 9 लाख 8 हजार 413 रुपए का शुद्ध नुकसान होना जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया था। इसके विपरीत स्थानीय स्तर पर मात्र 7 हजार 872 मिश्रित प्रजाति के वृक्षों की कटाई से शासन को मात्र 1 लाख 96 हजार 768 रुपए का नुकसान होना बता कर कार्यवाही की गई जो कि सवालों में है। इसी तरह आशीष खेलवार, उप वनमंडलाधिकारी दक्षिण की ड्यूटी ऐतमानगर परिक्षेत्र के तानाखार बीट की जांच के लिए 10 दिसंबर 2019 से लगाई गई थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में 12 दिसंबर 2019 से 26 दिसंबर 2019 तक की गई जांच में 4357 नगद अवैध कटे ठूंठ पाए जिसमें किसी प्रकार की कार्यवाही पूर्व में संबंधितों द्वारा नहीं की गई थी और शासन को यह नुकसान 37 लाख 67 हजार 281 रुपए का होना पाया गया। उप वनमंडलाधिकारी को मई 2018, मई 2019 में जांच हेतु रोस्टर निर्धारित था किंतु उनके द्वारा बीट जांच नहीं किया गया।
• नियमित बीट जांच करते तो विभाग को नुकसान ना होता –
फारेस्ट मैनुअल के अनुसार उप वनमंडलाधिकारी को माह में कम से कम 1 तथा 2 माह में 3 बीटों का प्रतिपरीक्षण किया जाना था परंतु तत्कालीन उप वनमंडलाधिकारी ने ऐसा नहीं किया जिसके कारण 6-7 माह के बाद अवैध कटाई की जानकारी हुई। श्रीमती प्रेमलता यादव जो वर्तमान में डीएफओ कटघोरा हैं उस समय एसडीओ कटघोरा पदस्थ थीं अब उन पर इन पेड़ों की अवैध कटाई और हुए नुकसान का दारोमदार आया है। प्रेमलता यादव पर कार्यवाही की मांग करते हुए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं अध्यक्ष जांच समिति संजय ओझा से शिकायत की गई जिन्होंने अवैध कटाई की पुन: जांच करते हुए तत्कालीन एसडीओ वन श्रीमती प्रेमलता यादव के विरूद्ध कार्यवाही करने इस मामले को आगे बढ़ाया।
• विधानसभा में दी गई गलत जानकारी –
विधानसभा के बजट सत्र में ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 261 के तहत यह मामला उठाया गया जिसमें जानकारी विभाग से विधानसभा के द्वारा चाही गई। प्रारूप उत्तर में कटघोरा वनमंडलाधिकारी द्वारा बताया गया कि वे इस अवैध कटाई के समय उप वनमंडल अधिकारी कटघोरा के पद पर पदस्थ नहीं थीं। इस पर शिकायतकर्ता दिनेश पाण्डेय, प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ जन सहयोग संस्थान के द्वारा छत्तीसगढ़ विधानसभा के सचिव को पत्र द्वारा अवगत कराया गया है कि यह जवाब तोड़-मरोडक़र झूठा प्रारूप उत्तर डीएफओ द्वारा मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वृत्त को प्रेषित किया गया है। श्रीमती प्रेमलता यादव उप वनमंडलाधिकारी के पद पर 16 अक्टूबर 2015 से 30 अगस्त 2019 तक पदस्थ रहीं। उप वनमंडलाधिकारी मुंगेली ने 16 दिसंबर से 29 दिसंबर 2019 तक की गई जांच में 6 माह से 2 वर्ष अवधि तक के ठूठों की गणना की जिसमें 22580 नग अवैध ठूंठ पाए गए। उप वनमंडलाधिकारी दक्षिण कोरबा ने तानाखार बीट में 12 दिसंबर से 26 दिसंबर 2019 तक की गई जांच में 2 वर्ष अवधि तक के ठूंठ लिए जिसमें 4357 नग अवैध ठूंठ पाए गए।
जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट है कि उस समय उप वनमंडलाधिकारी, कटघोरा के द्वारा बीट जांच रोस्टर अनुसार नहीं किया गया जिससे अवैध कटाई पकड़ी नहीं जा सकी। मई 2018 में मात्र परिक्षेत्र सहायक के द्वारा बीट जांच किया गया था।