कटघोरा: संरक्षित प्रजाति के जीव की हत्या मामले में रेंजर को बचा रही है भ्रष्ट डीएफओ प्रेमलता यादव..
संरक्षित प्रजाति के जीव की हत्या मामले में रेंजर को बचा रही है घोटालेबाज डीएफओ प्रेमलता यादव..
Katghora: कटघोरा वनमण्डल के पसान वन परिक्षेत्र में 12 दिन पूर्व हुए (संरक्षित प्रजाति वन्यप्राणी) कबर बिज्जु की हत्या के मामले में डीएफओ प्रेमलता यादव पसान वन परिक्षेत्र अधिकारी रामनिवास दहायत को बचा रही है , जिस मामले में तत्काल कार्यवाही करते हुए दोषी कर्मचारियों को निलंबित कर रेंजर को निलम्बित करने अनुसंशा किया जाना था उस मामले में आज 15 दिन बीत जाने के बाबजूद भी कार्यवाही का ना होना डीएफओ प्रेमलता यादव की भ्रष्ट कार्यशैली को प्रदर्शित करता है ।
विदित है की डीएफओ प्रेमलता यादव खुद लाखो रुपए के भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है , जिसके द्वारा लाखो का फर्जी भुगतान किया गया है ऐसे डीएफओ से कार्यवाही की उम्मीद करना असम्भव को सम्भव करने जैसा है। बता दे की डीएफओ प्रेमलता यादव के द्वारा चैतमा वन परिक्षेत्र में करोड़ो के डबल्यू बी एम सड़क में जमकर घोटाला किया गया है जिसमे भी कार्यवाही की मांग तो की गई थी परन्तु उस मामले को भी दबा दिया गया है।
क्या था (संरक्षित प्रजाति वन्यप्राणी) कबर बिज्जु का मामला जाने..
उल्लेखनीय है कि कटघोरा वनमंडल के अंतर्गत आने वाले पसान रेंज के दर्रीपारा में कुछ 15 दिनो पूर्व एक कबरबिज्जू जंगल से भटककर ग्रामीण के घर पास पहुंच गया था। जब ग्रामीण की नजर उस जानवर पर पड़ी तो उसने लाठी निकाल कर उसे मारना शुरू कर दिया और जब तक उसकी जान नहीं चली गई तब तक उसे पीटता रहा जिससे उसकी मौत हो गई।
जब इसकी जानकारी पसान वन परिक्षेत्र अधिकारी राम निवास व ईश्वर मानिकपुरी को लगी तो वे तत्काल मौके पर पहुंचे और पशु चिकित्सक से कबरबिज्जू की पोस्टमार्टम की कार्यवाही तो कराई लेकिन उसे जलाने की बजाए जंगल में दफना दिया गया और मारने वाले ग्रामीण के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जब इस मामले को लेकर वन परिक्षेत्र अधिकारी राम विलास से जानकारी पूछी गई तो वे लगातार गोलमोल जवाब देते रहे और ऐसे ही सामान्य जानवर की मौत होने की बात कहते रहे और कुछ भी बताने से कतराते रहे।
रेंजर रामनिवास की लापरवाही पोस्टमार्टम के समय नही थे…
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जब हत्या के बाद कबरबिज्जु का पोस्टमार्टम किया जा रहा था उस समय रेंजर मौके पर उपस्थित नही थे केवल वन विभाग का एक कर्मचारी व पशु चिकित्सक ही थे जबकि रेंजर अथवा किसी राजपत्रित अधिकारी की उपस्थिति अनिवार्य है।
रेंजर व ग्रामीण के खिलाफ दर्ज होना चाहिए मामला..
वन विभाग के जानकार बताते हैं कि कबर बिज्जू वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची एक (क) के संरक्षित प्रजाति के वन्य प्राणी में आने वाला जानवर है। जिसकी जान लेना सामान्य बात नहीं है । ग्रामीण ने कबरबिज्जू की डंडे से पीट-पीटकर उसे मौत के घाट उतारा है। वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों ने इस मामले में लीपापोती कर ऐसे ही उसे दफना दिया है। दफनाने की बजाए उसे अधिकारियों की उपस्थिति में जलाने का प्रावधान है। वन विभाग के जिम्मेदार अफसरों को इस मामले को संज्ञान में लेते हुए दोषी वन विभाग के रेंजर व अन्य अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही उसकी हत्या करने वाले ग्रामीण के खिलाफ एफआईआर की कार्रवाई करनी चाहिए।
इस पूरे मामले में डीएफओ ने जांच कर कड़ी कार्यवाही की बात तो कही थी परंतु डीएफओ की बात केवल बात तक ही सीमित रह गई ।।