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मरवाही: भ्रष्टाचार में लिप्त वनरक्षक राकेश राठौर, पन्नालाल जांगड़े, जल्द होगी कार्यवाही

भ्रष्ट वनरक्षको को विभाग के महत्पूर्ण कार्यो की जिम्मेदारी..अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह ?

गौरेला पेंड्रा मरवाही-मरवाही वनमण्डल के नामी भ्रष्टाचार में लिप्त वनरक्षको को मरवाही वनमण्डल के अधिकरियों की कृपा प्राप्त है इनके बिना विभाग का कार्य सम्भव नही हो पाता ऐसा लोगो मे चर्चा बना हुआ है निलंबित वन रक्षक सुनील चौधरी का मामला मीडिया में आते ही विभाग ने सस्पेंड कर विभाग की पारदर्शिता को साबित करने का प्रयास किया है,

गौरतलब है की जब से मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर राजेश चंदेल ने वृत्त का प्रभार संभाला है तब से भ्रष्टाचारियों के ऊपर ताबड़तोड़ कार्यवाही की गई है ..

वनरक्षक पन्ना लाल जांगड़े का पिछला इतिहास देखा जाए तो नरवा विकास योजना का कार्य जब खोडरी रेंज में आया तो इनकी पोस्टिंग खोडरी रेंज के बरिहाडांड परिसर में थी जहां इनके द्वारा शासन की योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार किया गया और जब इसके भ्रष्टाचार को जब प्रतिनिधियो ने मीडिया के माध्यम से प्रकाशित किया ,तो तात्कालीन वनमंडलाधिकारी ने इनकी पोस्टिंग गौरेला रेंज के आमानाला परिसर में कर दिया गया और इन्हें फिर से नरवा विकास का कार्य स्वीकृत करा दिया गया जिसमें भी इनके द्वारा जमकर गबन किया गया। वही इसके ऊपर नरेगा में स्टाप निर्माण में वित्तीय अनिमियता का मामला जब विधान सभा मे उठा तो विभाग को आखिरकार इसको निलंबित करना पड़ा इनके आमा नाला परिसर रक्षक रहते हुए मनरेगा योजना से चाय बगान का रोपण और नरवा विकास का कार्य का बिना कार्य कराये पैसा चार्ज करने का आरोप भी लग चुका है पर भी अब विभाग ने जागड़े को पुनः मरवाही रेंज से वापस बुला गौरेला रेन्ज के केंवची सर्किल में पदस्थ किया है जहाँ फिर नरवा का कार्य स्वीकृत हुआ है।

वही इतने आरोप सिद्ध होने के बाद भी तात्कालीन वनमंडलाधिकारी द्वारा इनकी पोस्टिंग करना समझ से परे है इसी प्रकार राकेश राठौर वन रक्षक पर कार्यवाही करने में हाथ पैर फूलते है राकेश राठौर को भी मलाई वीट में रहने का अपना अलग अंदाज है विभाग इन्हें हमेशा 2 परिसरों का प्रभार देकर रखती है ।

नाम न बताने के शर्त पर विभाग के कर्मचारी बताते है कि राठौर रेंजर के आदेश को भी नही मानता पिछले वन वनमंडलाधिकारी के संरक्षण की वजह से परेशान होकर खोडरी रेंजर को मजबूरी में अवकाश में जाना पड़ा था.. कमीशन के खेल में राठौर सतरंग के खिलाड़ी है इस लिए अधिकारीयो की पहली पसंद है ये इनके पिछले 3 वर्षों में जिस परिसर में कार्य स्वीकृत हुआ है। वही इनकी पोस्टिंग कर जमकर भ्रष्टाचार किया और विकास के पैसो से राकेश राठौर ने अपनी विलासता को पूरा किया।

बता दे की इनकी शिकायत एसीबी में भी हो चुकी है इनकी पिछले 2 वर्षो में नरवा विकास के पैसो को जबरदस्त तरीके से गबन किया गया ये खोडरी रेंज के जरहा पारा परिसर खोडरी परिसर साधवानी परिसर में रह जमकर राशि का गबन किया । वर्तमान में पता चला है कि वनमण्डल में एकमात्र स्वीकृत केंद्रीय नर्सरी जो। मड़नाडिपो केम्पस में स्वीकृत हुई थी जिसे ततकालिक डी एफ ओ दिनेश पटेल ने भ्रष्टाचार करने राकेश राठौर को साधवानी परिसर में दे दिया गया जबकि तात्कालीन प्रभारी वनमण्डलाधिकारी संजय त्रिपाठी ने साफ सफाई का पूरा पैसा फर्जी मढ़ना डिपो में खर्च कर दिया गया ।

अब सवाल यह उठता है कि स्थल तैयारी जब मढ़ना डिपो केम्पस अंदर में तो साधवानी में नर्सरी कैसे कराई जा सकती है निश्चित ही नर्सरी में नया खेला हुआ है दबे जुवान में बताया जा रहा है कि यह केंद्रीय नर्सरी के लायक ही स्थल नही है इसे चिजगोहन नर्सरी या मड़नाडिपो नर्सरी में कार्य करना था राकेश राठौर के ऊपर कई गबन के शिकायत लंबित है जिसकी सूचना शायद मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को नहीं है इसलिए इनके ऊपर इतने आरोप के बाद भी इन दोनों वन रक्षको को मलाई दार बिट में कर दिया जाता है और जनता के पैसो का बंटर बाट कर लिया जाता है निश्चित ही मुख्य वन संरक्षक जांच करा इन दागी वन रक्षको को परिसर से तत्काल हटाया जाना चाहिए।