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कोरबा: छोटे-बड़े झाड़ का जंगल तबाह कर आबाद होते चले गए माफिया और अफसर..

कोरबा: छोटे-बड़े झाड़ का जंगल तबाह कर आबाद होते चले गए माफिया और अफसर..

कोरबा जिले के पसान तहसील में छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीन पर अभिलेखों में हेरफेर कर मद परिवर्तन होता रहा और उनकी रजिस्ट्री भी होती रही। तब वन विभाग के अफसर अपनी जमीन लुटते देखते रहे। राजस्व विभाग में नियम विरूद्ध हुए जमीन के मद परिवर्तन को रोकने का साहस भी किसी अफसर ने नहीं दिखाया। पूर्व एडिशनल कलेक्टर के अनुसार वन संरक्षण अधिनियम वर्ष 1980 में आया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार यदि छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की जमीन नारंग वन घोषित हो गई है तो उस पर नियमत: कोई निर्माण नहीं हो सकता। यदि वर्ष 1980 के पूर्व वहां की जमीन शासन से आवंटित हुई है तब देखना होगा कि आवंटन 237(2) के आधार पर हुआ है या नही। जांच का विषय है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के बाद नारंगी वन की जमीनों का आवंटन त्रुटिपूर्ण है। इधर पसान में छोटे-बड़े झाड़ का जंगल अभी भी मौजूद है लेकिन जहां नहीं है वहां बिल्डिंग बन चुकी है।

बड़े झाड़ के जंगल में अवैध बिक्री जारी है सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण कर लाखो रुपए माह किराया भी अवैध तरीके से वसूला जा रहा है पसान में अभी भी अवैध बिक्री हो रही हैं जिसमें राजस्व अफसरों से कार्रवाई कर उसे रोकने का दावा किया जा रहा है। लेकिन दावे के विपरीत जाकर माफियाओं के साथ मिलकर खरीदी बिक्री की जा रही है।