कमीशन के फेर में रेंजर ने डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के मजदूरी एवं मटेरियल भुगतान का रोका राशि, DFO को भुगतान संबंधी अकाउंट की दी गलत जानकारी…
कोरबा/कटघोरा-चैतमा :- कार्रवाई के अभाव में कटघोरा वनमंडल के शीर्ष अधिकारी से लेकर निचले स्तर तक के अधिकारी- कर्मचारी भर्राशाही एवं मनमानी की सीमा को लांघने से बाज नही आ रहे है। जिनके कार्यप्रणाली के चलते यह वनमंडल विवादों से घिरता जा रहा है। यहां लाखों- करोड़ों का बोगस मजदूरी भुगतान पर लेट लतीफी नही होती, जबकि वास्तविक भुगतान कमीशन के फेर में महीनों लटकाकर रखे जाते है। चैतमा रेंजर ने भी डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के लाखों का मजदूरी एवं मटेरियल भुगतान कमीशन के चक्कर मे रोके रखा है और डीएफओ को भुगतान संबंधी अकाउंट की गलत जानकारी प्रेषित की गई है।
ज्ञात हो कि कटघोरा वनमंडल के चैतमा वन परिक्षेत्र अंतर्गत बगदरा से सपलवा वनमार्ग पर 3 कि.मी. डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण के लिए 2021 में 48 लाख के परियोजना को स्वीकृति मिली तथा 2022 में कार्य पूर्ण करा लिया गया। जिस कार्य के लिए इस वनांचल क्षेत्र के गरीब एवं भोले- भाले आदिवासी गरीब मजदूरों को नियोजित किया गया था। जिसका मजदूरी भुगतान और मटेरियल सामाग्री का भुगतान रेंजर दिनेश कुर्रे द्वारा कमीशन के फेर में रोके रखा है। बता दें कि चैतमा रेंज में तत्कालीन पदस्थ रेंजर मृत्युंजय शर्मा के कार्यकाल में उक्त सड़क निर्माण का कार्य हुआ था, किन्तु वित्तीय गड़बड़ी के आरोप मामले में उन्हें निलंबित कर दिया गया। जिसके बाद चैतमा कि जिम्मेदारी रेंजर के पद पर पदोन्नत दिनेश कुर्रे को लगभग ढाई- तीन माह पहले सौंपी गई है। जिन्होंने फरवरी- मार्च 2023 में चेक जारी कर भुगतान संबंधित अकाउंट डीएफओ को तो भेज दिया लेकिन कमीशन की लालच में मजदूरी व मटेरियल भुगतान की राशि आज पर्यन्त रोक कर रखा गया है तथा भुगतान के नाम पर लगातार टाल मटोल करते आ रहे है। विभागीय सूत्रों ने नाम, पता उजागर न करने की शर्त पर जो जानकारी उपलब्ध करायी है उसके मुताबित डब्ल्यूबीएम सड़क निर्माण का कार्य देख रहे डिप्टी रेंजर व बीट गार्ड के मध्य रेंजर का कमीशन मामले को लेकर सामंजस्य बैठ नही पा रहा और यही कारण है कि डीएफओ को अकाउंट संबंधी गलत जानकारी दी गई तथा भुगतान नही किया जा रहा है। जिसका खामियाजा कार्य किये मजदूरों व मटेरियल सप्लायर को भुगतना पड़ रहा है। रेंजर श्री कुर्रे की ऐसी कार्यशैली पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए है।