एतमानगर जंगल में चल रहे फेंसिंग कार्य में जमकर घोटाला, आधे अधूरे कार्य का पूरा पैसा खा गए डीएफओ और रेंजर
एतमानगर जंगल में चल रहे फेंसिंग कार्य में जमकर घोटाला, आधे अधूरे कार्य का पूरा पैसा खा गए डीएफओ और रेंजर
छत्तीसगढ़/कोरबा :- शासन की विभिन्न योजनाओं सहित कैंपा मद,नरवा विकास योजना के मद से लेकर विभिन्न मदों के कार्यों में जंगल में घोटाला किया जा रहा है। एक और सनसनीखेज मामला सामने आ रहा है जिसमें गुणवत्ताहीन सीमेंट के खंभे का उपयोग किया जा रहा है और आधे अधूरे कार्य का पूरा पैसा निकाला गया है।
कटघोरा वनमंडल के एतमानगर वन परिक्षेत्र में सीमेंट के खंभे से कांटा तार फेंसिंग कार्य में भारी अनियमितता कर लाखों- करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। यदि ईमानदारी से जांच हो तो बड़ा घोटाला और वित्तीय अनियमितता उजागर होने की संभावना है। दरअसल कोरबा जिले के कटघोरा वनमण्डल अंतर्गत एतमानगर रेंज के बरतराई, पोड़ी गुरसिया सर्किल, गुरसिया रिगनिया,सरभोका क्षेत्र में कांटा तार फेंसिंग का कार्य होना दिख रहा है।
जिसमें प्रथम दृष्टया भारी भ्रष्टाचार प्रतीत हो रहा है। मानक के विपरीत 14×14 गेज के स्थान पर कम गेज की मोटाई वाला कांटा तार लगाया गया है। विभागीय सूत्रों के बताए अनुसार प्रोजेक्ट के अनुसार 4m/kg के 5 स्टेंड लगाना था तथा 7 रो में कांटा तार लगाए जाने का नियम है जिसमे 2 रो डायगोनल फिक्स किया जाना था। पहला रो जमीन सतह से 9 इंच की ऊंचाई पर दूसरा पहले से 9 इंच के अंतर तथा तीसरा चौथा व पांचवे रो में 12 इंच का अंतर होना चाहिए परंतु यहां खानापूर्ति मात्र किया गया है। आरसीसी पोल को 30×30 *45 cm साइज का गढ्ढा खोदकर 1:3:6 के अनुपात में कंक्रीट से फिक्स किए जाने का नियम है,लेकिन यहां नाम मात्र गढ्ढा खोदकर मिट्टी से पाटा गया है।
एतमानगर में 2-3 सौ आरसीसी पोल दिखाने मात्र के लिए गिराया गया है लेकिन बिल व्हाउचर प्रोजेक्ट के अनुसार पूरे का बनाया गया है। इसमें दोष काम कराने वाले वन कर्मचारियों का नहीं है। क्या करें बेचारे, जितना खंभा और तार सप्लाई में लिया गया उतने का ही काम कराया क्योंकि सप्लाई में ही कांटा मार लिया गया।इस बारे में जानकारी लेने के लिए कटघोरा डीएफओ श्रीमती प्रेमलता यादव को फोन लगाया गया तो कवरेज से बाहर मिला वहीं एसडीओ को फोन लगाने पर उन्होंने हर बार की तरह इस बार भी फोन उठाना जरूरी नहीं समझा। वन विभाग के अधिकारियों की संवादहीनता कोई नई बात नहीं है।
वही कम खरीदी में बिल पूरा,गौरतलब हो कि शासन द्वारा बनाया गया कोई भी प्रोजेक्ट गलत नही होता लेकिन सही और गुणवत्तायुक्त प्रोजेक्ट भ्रष्ट अधिकारियों के लालसा की भेंट चढ़ जाया करती है। एक वन कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि सामान खरीदी का अधिकार डीएफओ का है और वो सप्लायर से मात्र 40 प्रतिशत ही सामग्री मंगाते हैं चाहे गिट्टी हो सीमेंट या अन्य सामग्री,और इतने मात्र में ही काम कराने का मौखिक निर्देश रहता है तो काम पूरा कैसे होगा ? लेकिन बिल व्हाउचर पूरे का मंगा कर तथा सप्लायर से भी पूरे का बिल लेकर आहरण किए जाने का वर्तमान डीएफओ अपना ट्रेंड बना चुकी है ।
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पूरे एतमानगर वन परिक्षेत्र में काम आधा भी नही हुआ है परन्तु रेंजर और डीएफओ ने पूरी राशि चार्ज कर ली है बता दे की भ्रष्टाचार का यह खेल डीएफओ के निर्देश पर खेला जा रहा है तथा यह कार्य इसी तरह से अन्य रेंज में हुए हैं। यदि उच्चाधिकारी समय रहते ईमानदारी पूर्वक ध्यान न दें तो एएनआर कार्य भी विगत दिनों उजागर हुए ग्रीन इंडिया मिशन योजना घोटाला से भी बड़ा घोटाला सामने आएगा।