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गौरेला पेंड्रा मरवाही

वन विभाग में नही थम रहा भ्रष्टाचार का खेल मरवाही वन मंडल में लाखों करोड़ों का…

फर्जी समिति बनाकर करोड़ो की राशि का बंदरबांट , दोषी वन रक्षक पर कार्यवाही करने में DFO के फूल रहे हाथ पांव , 

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – मरवाही वनमंडल भ्रष्टाचार का गढ़ बन बनता जा रहा है जहाँ फर्जीवाड़े के नित नए आयाम गढ़े जा रहे है मामला मरवाही वनमंडल के मरवाही परिक्षेत्र के साल्हेकोटा वन प्रबंधन समिति का है जहां फर्जी समिति गठित कर करोड़ो की राशि निकालने का मामला सामने आया है मगर सारी चीजें स्पष्ट होने के बाद भी विभाग कार्यवाही करना छोड़ मामले की लीपापोती में लग गया है .

आपको बता दे वन विभाग के इतिहास में शायद यह पहली बार हुआ होगा कि एक ही व्यक्ति को दो दो समितियों का अध्यक्ष बनाया गया इतना ही नही नियमतः जिस गांव की समिति होती है उसी गांव के ग्रामीणों द्वारा आम सहमति बनाकर गांव के ही किसी एक व्यक्ति को अध्यक्ष बनाये जाने का प्रावधान है मगर गांव के बाहर के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाकर फर्जी अध्यक्ष द्वारा राशि का आहरण भी कर लिया गया .

दरअसल मामला मरवाही परिक्षेत्र में रोपणी प्रबंधन समिति चिचगोहना एवं नेचर कैम्प समिति जामवंत माडा गगनई का है जहाँ फर्जी समिति का गठन कर विभिन्न योजनाओं की शासकीय राशि फर्जी तरीके से समिति गठित कर समिति खाते में जमा कराकर शासकीय राशि की हेराफेरी एवं गंभीर वित्तीय अनियामिता के लिए परिक्षेत्र अधिकारी मरवाही एवं दोनों समितियों के सचिव सुनील चौधरी ( वनरक्षक बीट गार्ड मरवाही ) एवं दोनों समितियों के अध्यक्ष मूलचंद कोटे ग्राम मरवाही निवासी द्वारा करोड़ो की राशि का बंदरबांट किया गया है ।

वही उक्त गंभीर मामले की शिकायत उपरांत अनुविभागीय अधिकारी वन द्वारा जांच की गई जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर भी दोषियों पर कार्यवाही नही की गई जिससे दोषियों के हौसले बुलंद है वही जांच उपरांत अनुविभागीय अधिकारी वन द्वारा पुनः विस्तृत जांच किये जाने की बात कही जा रही है जिससे यह साफ परिलाक्षित होता है कि मामले में उच्चाधिकारियों द्वारा लीपापोती की जा रही है .

महत्वपूर्ण बात यह है कि वनमण्डलाधिकारी सत्यदेव शर्मा की पदस्थापना के बाद से उम्मीद जगी थी कि अब मरवाही में हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगा मगर इतने गंभीर मामले में अब तक कार्यवाही न होने से वनमण्डलाधिकारी पर भी कई सवालिया निशान खड़े हो रहे है चूंकि अपनी पदस्थापना के बाद उषाड़ बीट के वनरक्षक द्वारा फर्जी प्रमाणक बनाएं जाने पर तत्काल कार्यवाही करते हुए वन रक्षक रामशुशील तिवारी पर निलंबन की कार्यवाही की गई थी मगर यहाँ फर्जी समिति बनाकर करोड़ो की राशि निकाले जाने वाले गंभीर मुद्दों पर शिकायत के दो माह बाद भी विभाग मौन साधा हुआ है वही आमजनमानस में यह चर्चा है कि कटघोरा वनमंडल में पदस्थ SDO संजय त्रिपाठी की मरवाही वनमंडल में दखलदांजी है शायद यही कारण है कि उक्त मामले में कार्यवाही नही की जा रही और पूरा वन अमला मामले की लीपापोती में लग गया है .

मामले में वनमंडलाधिकारी से उनका अभिमत लेने पर उनके द्वारा कहा कहा गया कि मुझे मामले की पूरी जानकारी नही है अनुविभागीय अधिकारी वन की जांच रिपोर्ट भी संछिप्त है जिसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कार्यवाही की जाएगी .

आश्चर्य की बात है कि शिकायत के दो माह बाद व्यतीत हो जाने के बाद भी उच्चाधिकारियों की अनभिज्ञता जाहिर करना प्रकरण को गंभीरता से न लेते हुए सुनियोजित तरीके से मामले की लीपापोती कर दबाने का प्रयास किया जा रहा है .

उक्त मामले की शिकायत वन मंत्री एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक छत्तीसगढ़ शासन से की जा चुकी है अब देखना यह होगा कि मामले मे क्या कार्यवाही की जाती है या पूरा वन अमला इस तरह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता रहेगा .